ईरानी चाय


            Dibyajyoti Panda
वैसे तो उन्होंने मेरे proposal को ठुकरा दिया था, पर बातचीत जारी थी online। हमें online बात किए हुए ९ महिने होगया था और उस दिन message आया- “ईरानी चाय पीए हो??”। मैंने लिखा – “हां ☺️my favourite”, तो जवाब आया- “छी, इतना मीठा कैसे पीते हो!”, और बातों का सिलसिला जारी रहा।.
वैसे तो एक दो बार मुलाक़ात हुई है, पर हमने तय किया था एक बार मिलेंगे, मतलब ज़्यादा वक़्त साथ गुज़ारेंगे। जब मैं capital आऊंगा exam देने और उस exam के बाद वो हमेशा के लिए capital को अलविदा कह देंगे। आज भी याद है मैं कितना बेचैन था उन लम्हों में, इंतज़ार की घड़ी बहुत धीरे धीरे चलती है ना।
और वह वक़्त आ गया, हम वहां पहुंचे जहां मिलना तय हुआ था। Lunch करने के बाद निकल ही रहे थे कि बारिश हुई, हलकी सी। रुक रुक कर गिर रही इस बारिश में हम दोनों भी रुक रुक के Infocity chowk के पास पहुंच गए।
बारिश अब तेज़ होने लगी। हम दोनो एक जगह रुक गए। उस समय वो मुझे एक नज़र देखे जा रही थी कि अचानक पूछ बैठी- “चाय पीने चलें”। मेरे “पर… बारिश…” कहने पर उन्होंने छाता खोला और कहा- “You are lucky के मैं तुम्हारे साथ छाता share कर रही हुं”। इस बात पर मुस्कुराते हुए हम दोनों चाय की दुकान पर पहुंच गए थे।
“दो ईरानी चाय, और सुनो तुम लेके आओ”, कहके उन्होंने payment कर दी और मेरे हाथों में थमा दी वो चाय की tray। “मगर उनको तो ईरानी चाय पसंद नहीं थी, तो ये…”, सोचते सोचते चाय ख़त्म हुई, फिर ढ़ेर सारी बातें हुई, ज़ोर ज़ोर से बारिश भी हुई, और उस मोड़ पर उन्हें छोड़ कर मैं आ भी गया, और…
…और अब हम दोनों ज़्यादा बात नहीं करते एक दुसरे से, ना ही उसके बाद कभी मुलाक़ात हुई है। पर वह सफ़र, “ईरानी चाय पीए हो??” से लेकर ईरानी चाय पिलाने तक का…प्यारा था और पूरा भी।